
Rudraksh Domukhi
Origin Nepal
दोमुखी रुद्राक्ष -➖
दोमुखी रुद्राक्ष को शंकर व पार्वती का रूप माना गया है अर्थात अर्धनारीश्वर रूप है। इसके उपयोग से धारक के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। कार्य तथा व्यापार में सफलता मिलती है यह मोक्ष और वैभव का दाता है।
द्विवक्त्रो देवदेवेशो गोवधं नाशयेद्धु्रवम्।।
दोमुखी रुद्राक्ष साक्षात् देवदेवेश का स्वरूप है। यह गोवध जैसे पापों से छुड़ाने वाला है। इसको धारण करने वाले व्यक्ति की अनेक व्याधियां स्वतः ही शांत हो जाती हैं।
यह रुद्राक्ष भी चतुवर्ग सिद्धि प्रदाताहै।
आंवले के फल के बराबर दोमुखी रुद्राक्ष समस्त अनिष्टों का नाश करने वाला तथा श्रेष्ठ माना गया है।
इस रुद्राक्ष में पूर्णरूप से अंतगर्भित विद्युत तरगे होती हैं। इन्हीं से इसकी शक्ति का पता चलता है।
दोमुखी रुद्राक्ष के धारण करने से शिवभक्ति बढ़ती है और अनेक रोग नष्ट होते हैं।
यह रुद्राक्ष कर्क लग्न वालों के लिए विशेष उपयोगी है।
उपयोग से लाभ -
➖➖➖➖➖➖वैदिक ऋषियोंका यह मत है कि इसे धारण करने से मन को शांति मिलती है। उसका मुख्य कारण यह है कि यह शरीर की गर्मी को अपने में खींचकर गर्मी को स्वतः बाहर फेंकता है।
यदि दोमुखी रुद्राक्ष की भस्म को स्वर्णमाच्छिक भस्म के साथ बराबर की मात्रा में एक रत्ती सुबह-शाम उच्च रक्तचाप के रोगी को दूध या दही अथवा मलाईके साथ दिया जाए तो चमत्कारी प्रभाव होता है।
मसूरिका नामक दुर्दम्य रोग का नाश करने के लिए तीन दिन तक बासी जल केअनुपात से रुद्राक्ष एवं काली मिर्च का समभाग एक मासे से तीन मासे तक सेवन करने से मसूरिका रोग समूल नष्ट हो जाता है।