प्रकृति ने हमे कई उपहार दीये हैं उनमें से एक गरुड़ वृक्ष भी हैं.... गरुड़ की फलियाँ बिलकुल साँप के आकर के दिखाई देती हैं,शायद इसी कारण इसका नाम गरुड़ पड़ा होगा....ग्रामीणांचल में आज भी दरवाजे के ऊपर गरुड़ की फलियों को बांध देते है ताकि किसी भी प्रकार का साँप घर में नहीं प्रवेश कर सके...क्योंकि गरुड़ के इस फल में विशेष प्रकार कि सुगंध होती है जिससे साँप दूर भागते है... ।गरुड़ का पेड़ (Radermachera xylocarpa)मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, हिमाचल, केरल, तमिलनाडु इत्यादि राज्यों में पहाड़ी इलाकों के घने जंगलों में कहीं-कहीं पाया जाता है.... यह वृक्ष पर्याप्त ऊँचा होता है, इसका तना कठोर लकड़ी वाला होता है व डण्डी पर 3 पत्तियाँ लगी होती हैं जैसे कि बेल पत्र लगे होते है...इसकी फली जो कि फल होती हैं, एक मीटर या उससे कुछ अधिक तक लम्बी होती है.. यह सर्प के समान कुछ चपटी होती है.... फली को चीरने पर इसमें गांठेदार सफेद हड्डी जैसा गूदा होता है...बीजों के ऊपर एक हल्की पारदर्शक पर्त चढ़ी होती है जो कि सर्प की केचुली के समान होती है... फली का रंग हल्का चाकलेटी होता है... जहाँ-जहाँ भी यह गरुड़ वृक्ष होता है,उसके आसपास सर्प नहीं ठहरता है...।