
Ganesh Rudraksh-गणेश रुद्राक्ष
Origin_Nepal
गणेश रुद्राक्ष भगवान गणेशजी का प्रतिनिधित्व करता है । इसकी आकृति भी उनके जैसी प्रतीत होती है । इस रुद्राक्ष पर सूंड के समान एक उभार होता है । इसे धारण करने से समस्त विघ्नों का नाश होता है व धन -सम्पति की प्राप्ति होती है । गणपतिजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है । इनके सानिध्य को पाकर व्यक्ति सभी समस्याओं से मुक्त हो जाता है और सभी सुखों को भोगता हुआ मोक्ष को प्राप्त करता है । बुद्धि ज्ञान को बढ़ाने वाला यह रुद्राक्ष अच्छी कार्य क्षमता प्रदान करता है । नियमित रूप से इसकी पूजा -अर्चना करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं व मानसिक समस्याओं का निराकरण करता है । इसे बाधाओं को दूर करने वाला व ऋद्धि -सिद्धि प्रदान करने वाला माना गया है जो व्यक्ति इसे धारण करता है ,उसे अपार समृद्धि प्राप्त होती है । यह एक दिव्य मनका है इसे पहनने से आध्यात्मिक ,मानसिक और शारीरिक लाभ मिलता है । रुद्राक्ष से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए इसकी
प्राणप्रतिष्ठा की जनि चाहिए ।
गणेश रुद्राक्ष प्राकृतिक रूप से रुद्राक्ष पर एक उभरी हुई सुंडाकृति बनी रहती है। उसे गणेश रुद्राक्ष कहा जाता है। यह अत्यंत दुर्लभ तथा शक्तिशाली रुद्राक्ष है। यह गणेशजी की शक्ति तथा सायुज्यता का द्योतक है। धारण करने वाले को यह बुद्धि, रिद्धी-सिद्धी प्रदान कर व्यापार में आश्चर्यजनक प्रगति कराता है। विद्यार्थियों के चित्त में एकाग्रता बढ़ाकर सफलता प्रदान करने में सक्षम होता है। विघ्न-बाधाओं से रक्षा कर चहुँमुखी विकास कराता है। यश-कीर्ति, वैभव, मान-सम्मान, प्रतिष्ठा में वृद्धिकारक सिद्ध होता है।
गणेश रुद्राक्ष सभी तरह के क्लेशों का शमन करने वाला होता है । इसको देखने पर प्रतीत होता है कि इस पर भगवान गणेश की आंशिक आकृति उभरी हुई है । इसकी सतह पर बनी हुई सूंडनुमा आकृति से यह रुद्राक्ष गणेश भगवान का रूप दीखता है । विशेष फलदायी यह रुद्राक्ष की समस्याओं का समाधान स्वतः ही कर देता है । इसे गणेश चतुर्थी के दिन धारण किया जाए तो यह और भी फलदायक होता है । इसे सोमवार को लाल धागे या सोने अथवा चांदी में धारण कर सकते हैं।