लहसुनिया धारण करने से दुःख दरिद्रता, व्याधि, भूत बाधा एवं नेत्र रोग नष्ट होते हैं। लहसुनिया की प्रमुख विशेषता यह है कि इसे धारण करने से केतु जनित समस्त दुष्प्रभाव शांत होते हैं।अच्छे लहसुनिया में चमकीलापन तथा चिकनाहट होती है। वजन में यह सामान्य से कुछ वजनदार प्रतीत होता है। लहसुनिया के बीच में सफेद रंग का सूत्र अथवा धारी होती है। इसे थोड़ा इधर-उधर घुमाने पर यह धारी चलती हुई-सी प्रतीत होती है। इसे कपड़े पर रगड़ने से इसकी चमक में वृद्धि होती है। लहसुनिया की अंगूठी सोने या चांदी में बनवाकर सोमवार के दिन कच्चे दूध व गंगाजल से धोकर अनामिका उंगली में निम्नलिखित मंत्र के उच्चारण के साथ धारण करनी चाहिए.
लहसुनिया लहसुनिया को केतु रत्न माना गया है। इसके विविध नाम इस प्रकार हैं- लहसुनिया, वैदूर्य, विडालाक्ष, केतु रत्न, सूत्र मणि तथा अंग्रेजी में इसे कैट्स आई कहते हैं। लहसुनिया हल्के पीले रंग का तथा बांस के समान होता है। इसकी सतह पर सफेद रंग का सूत्र अथवा धारी होती है, जो कि हिलाने-डुलाने पर चलती हुई-सी प्रतीत होती है। इस प्रकार देखने से यह बिल्ली की आंख के समान प्रतीत होता है। इसी कारण इसे विडालाक्ष अथवा कैट्स आई भी कहा जाता है।